किसान क्रेडिट कार्ड धारक की मृत्यु होने पर क्या होता है? सही नियम जानिए
किसान क्रेडिट कार्ड धारक की मृत्यु होने पर क्या होता है? क्या आप इसी के सही नियमों को जानना चाह रहे हैं? आइए पूरे विस्तार से जानते हैं
KCC लोन लेने वाला व्यक्ति का मृत्यु हो जाए तो, क्या उनके परिवार के सदस्यों या उनके अधूराधिकारी को लोन चुकाना होगा? इस प्रश्न का उत्तर को गूगल पर सर्च करने वाले आप अकेले व्यक्ति नहीं हैं.
ऊपर लिखे गए प्रश्न को, RTI के द्वारा RBI और NABARD पूछा गया था। क्या जवाब आया था? आगे विस्तार से पढ़िए।
किसान क्रेडिट कार्ड धारक की मृत्यु होने पर: लोन चुकाना है या नहीं
वर्ष 2022 में, हैदराबाद के करीम अंसारी नाम के व्यक्ति ने RTI करके RBI और नाबार्ड से पूछा था कि, अगर केसीसी लोन लेने वाले व्यक्ति का मृत्यु हो जाए तो ऐसी स्थिति में, क्या उसके परिवार को लोन चुकाना होगा या नहीं।
नाबार्ड ने कहा कि, मेरे संस्था को इसकी कोई जानकारी नहीं है। RBI का जवाब था कि, परिवार वाले को लोन चुकाना है या नहीं, वह लोन एग्रीमेंट और बैंक के टर्म एवं कंडीशन पर निर्भर करता है।
ABP न्यूज़ के अनुसार, केसीसी लोन धारक के मृतक के परिवार को लोन का सेटलमेंट करवाना हो सकता है।
Final Words: ज्यादातर बैंकों के टर्म कंडीशन में लोन चुकाने की बात होती है। अगर किसी भी कारणवश केसीसी लोन लेने वाले की मृत्यु हो जाए तो, उसके परिवार या उत्तराधिकारी को लोन चुकाना हो सकता है।
KCC Loan लेने वाले के Death के बाद: उनके परिवार वाले क्या करना चाहिए
लोन एग्रीमेंट: मृतक के घर में हो सकता है कि kcc लोन एग्रीमेंट हो, अगर आप पढ़ कर नहीं समझ सकते हैं तो, किसी जानकार से पढ़वाएं और उसे समझें।
बैंक मैनेजर से संपर्क: बैंक मैनेजर से संपर्क कीजिए। मैनेजर साहब से आप तीन प्रश्न पूछिए:
- पहला प्रश्न – क्या मृतक के नाम पर कोई इंश्योरेंस है?
- दूसरा प्रश्न – मृतक ने केसीसी लोन के लिए कोई जमीन या संपत्ति को सिक्योरिटी के तौर पर बैंक में जमा किया था?
- तीसरा प्रश्न – कुल बचा हुआ लोन का EMI कितना है और सेटलमेंट का क्या स्कीम है?
नाबार्ड वेबसाइट के अनुसार, किसान जिनके पास किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) क्रेडिट है, उन्हें स्थायी विकलांगता और मौके की मौके में मौत के लिए रुपये 50,000 तक का व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा होता है, और अन्य खतरों के लिए रुपये 25,000 तक का बीमा होता है।
अगर बीमा का आपको ₹50000 मिल जाता है तो आपको छोटी सी मदद हो जाएगी! अब दूसरे प्रश्न का उत्तर को समझते हैं।
अगर मृतक ने केसीसी लोन जमीन या कोई अन्य संपत्ति को सिक्योरिटी के रूप में जमा करके लोन लिया था। ऐसी स्थिति में लोन उनके परिवार या उनके उत्तराधिकारी को चुकाना हो सकता है। संपत्ति के बदले लिया गया लोन को सुरक्षित लोन कहते हैं।
सुरक्षित लोन जब कभी आप लेते हैं तो इसके बदले आप कोई ना कोई संपत्ति को बैंक के पास गिरवी रखते हैं.
जैसे आपने कृषि लोन लिया होगा तो ऐसे में आपने बैंक के पास अपने जमीन या किसी अन्य संपत्ति के कागज़ात को जमा किया होगा. असुरक्षित लोन ज्यादातर केस में बिजनेसमैन को मिलता है उसके बदले उसे किसी प्रकार के संपत्ति को गिरवी रखने की आवश्यकता नहीं होती है. अगर असुरक्षित लोन को ना चुकाया जाए तो बैंक सिर्फ कर्जदार का सिविल स्कोर को खराब कर देता है. दूसरी तरफ भारतीय किसान को केसीसी या कृषि लोन, सुरक्षित लोन के रूप में बैंक देती है ऐसे में भारतीय किसानों को हर कीमत पर लोन अदा करना होता है या फिर उसे जेल जाना होता है. |
किसान क्रेडिट कार्ड के नुकसान |
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KCC Loan After Death: सेटलमेंट कैसे करें?
अगर आप इस बात से कंफर्म हो जाते हैं कि, किसी भी कीमत पर लोन चुकाना ही होगा। इसके लिए आपको प्लानिंग करना होगा।
जैसे ही बैंक को आप मृतक के मृत्यु प्रमाण पत्र जमा करेंगे या बैंक को लंबे समय तक लोन का EMI नहीं मिलेगा। बैंक मृतक या परिवार के खिलाफ एक नोटिस जारी करेगा।
मृतक के परिवार के सदस्य को नोटिस का जवाब देना होगा और बैंक मैनेजर से बात करके लोन की अदायगी के लिए री सेटलमेंट करना होगा। जिससे कि मृतक के संपत्ति का नीलामी रुक जाए।
आप लोन की अवधि को बढ़ा सकते हैं और उसे EMI काम हो जाएगा। EMI देने के लिए केसीसी लोन में मिला बीमा का पैसा का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा किसी अन्य योजना से मृतक को बीमा मिलता है तो, उसे पैसे का भी योगदान आप लोन की EMI देने में कर सकते हैं।
ऐसा भी हो सकता है कि, मृतक द्वारा लिया गया लोन असुरक्षित हो यानी कि मृतक लोन के बदले किसी भी संपत्ति को बंधक नहीं रखा हो। ऐसी स्थिति में लोन माफ हो सकता है।
केसीसी लोन धारक के मृत्यु के बाद: उनके परिवार के सदस्य कुछ ना करें तो क्या होगा
किसान क्रेडिट कार्ड योजना के तहत अगर किसी किसान भाई ने लोन लिया और किसी कारणवश असमय उसकी मृत्यु हो जाए। उसके परिवार के सदस्य लंबे समय तक बैंक से संपर्क ना करें तो क्या होगा?
रिकवरी एजेंट: सबसे पहले बैंक आपके घर पर रिकवरी एजेंट को भेजेगा या फिर रिकवरी एजेंट आपको फोन कॉल करेगा.
नोटिस: उसके बाद भी अगर आप लगातार 3 या उससे अधिक किस्त को जमा नहीं कर पाते हैं, तो बैंक आपके घर पर नोटिस भेज सकती है.
सेटलमेंट: अगर आप नोटिस मिलने के बाद, नोटिस का जवाब देते हैं या फिर बैंक के जाकर के सेटलमेंट करते हैं तो ऐसे में आपका लोन की अवधि को बढ़ा दिया जाएगा.
लोन की अवधि को बढ़ाने के बाद, आपका ईएमआई कम हो जाएगा लेकिन आपको लंबे समय तक देना होगा.
अगर आप नोटिस का जवाब नहीं देते हैं ना ही आप सेटलमेंट करते हैं तो ऐसी स्थिति में, बैंक के क्या करेगा आगे जानिए?
डिफॉल्टर: नोटिस का जवाब नहीं देने पर, बैंक आपको डिफॉल्टर घोषित कर देगा. जैसे ही आप डिफॉल्टर घोषित हो जाएंगे.
एनपीए: डिफॉल्टर लोन को बैंक एनपीए में बदल देती है. एनपीए में बदलते ही बैंक को अधिकार होता है कि वह लोन की राशि की वसूली के लिए मामले को कोर्ट ले जा सकती है.
कोर्ट: उसके बाद लोन का पूरा मामला कोर्ट में चलेगा और उस संबंध में कोर्ट मृतक के परिवार के सदस्य को हाजिरी देने को कहेगा.
अगर आप लोन, ब्याज एवं कानूनी कार्रवाई में हुए खर्चे को कोर्ट के माध्यम से बैंक को लौटा देते हैं तो आपका मामला रफा-दफा हो जाएगा.
नीलामी: अगर आप कोर्ट के समक्ष इस बात की घोषणा कर देते हैं कि आप लोन का भुगतान करने में पूरी तरह असमर्थ हैं। ऐसे में कोर्ट फैसला देगा कि आपके द्वारा बैंक के पास रखी हुई, मृतक की गिरवी संपत्ति को नीलाम कर दें.
आपकी संपत्ति के नीलामी के बाद, जो भी राशि आएगा उस राशि से सबसे पहले लोन की पूरी राशि, ब्याज एवं कानूनी खर्चे में हुए खर्चों को लिया जाएगा.
उसके बाद अगर कुछ पैसे बच जाएगा तो मृतक के परिवार के सदस्यों को वापस कर दिया जाएगा. अगर घट जाए तो आप पर फौजदारी का मामला चलेगा.
जेल: फिर से कोर्ट केस चलेगा जिसमें कोर्ट आपको दोबारा विकल्प देगा कि इस राशि को आप कोर्ट के द्वारा बैंक को जमा कर दें. अगर आप उस राशि को जमा करने में असमर्थ होते हैं तो ऐसे में मृतक के उत्तराधिकारी को जेल जाना पड़ सकता है.
संपत्ति के नीलामी से क्यों बचना चाहिए?
अगर आप कोर्ट के सामने लोन की अदायगी के लिए असमर्थता घोषित करते हैं तो ऐसे में आपका संपत्ति का नीलामी करने का अधिकार बैंक के पास आ जाता है.
जब आपके संपत्ति को बैंक ने नाम करती है तो ऐसे में बहुत ज्यादा चांसेस होते हैं कि आपके संपत्ति को मार्केट प्राइस से कम रुपया मिले.
अक्सर यह देखने को मिलता है कि, अगर किसी संपत्ति को तुरंत बेचा जाए तो ऐसे में कम पैसे मिलते हैं.
दूसरी तरफ, कानूनी कार्रवाई एवं अदालती खर्च को बैंक आपके लोन में जोड़ देती है. इस तरह से आपका लोन की राशि बढ़ जाता है.
इसीलिए जानकारों की मानें तो नीलामी से हर कीमत पर बचना चाहिए. अगर आप समय रहते ही अपनी संपत्ति को बेच कर के लोन की अदायगी कर देंगे तो ऐसे में आप फायदे में रहेंगे.
Conclusion Points
केसीसी लोन धारा की, अगर किसी भी कारणवश मृत्यु हो जाए। तो ज्यादातर केस में देखा गया है कि, उनके परिवार वालों को लोन चुकाना होता है, या फिर मृतक के द्वारा गिरवी रखी गई संपत्ति को बैंक नीलम करती है।
मेरी राय में, नीलामी से बचना एक बेहतर विकल्प है. नीलामी से बचने के लिए सबसे पहला स्टेप है कि आपको जब भी नोटिस आए तो बैंक जाकर के सेटलमेंट करें.
जब आप बैंक के साथ सेटलमेंट करेंगे तो ऐसे में आपका ही में EMI को कम कर दिया जाएगा और लोन को लंबी अवधि के लिए बढ़ा दिया जाएगा.
अगर आप इस विकल्प को साथ नहीं जाना चाहते हैं तो, आप दूसरे विकल्प को चुन सकते हैं. समय रहते ही अपनी संपत्ति को सही कीमत पर बेचकर के लोन की अदा कर सकते हैं.