कृषि लोन (KCC) न चुकाने पर क्या होता है? मौजूदा कानून जानिए
कृषि लोन न चुकाने पर क्या होता है? क्या आप सही कानूनी जानकारी जाना चाहते हैं तो, मैं आपको पूरी दावे के साथ कह सकता हूं कि, आप एक बेहतरीन वेबसाइट तक पहुंच चुके हैं.
टेक्निकल प्वाइंट: भारत में ज्यादातर कृषि लोन को सुरक्षित ऋण श्रेणी में रखा गया है. सुरक्षित लोन का सीधा सा मतलब है कि, बैंक का पैसा आपके पास पूरी तरह सुरक्षित है.
सुरक्षित लोन जब कभी बैंक देती है तो उसके बदले आपसे कोई ना कोई तीसरा पक्ष का गारंटी या आपकी कोई संपत्ति को गिरवी के रूप में जमा करवाता है.
जब आप bank को लोन वापस करने में कोई भी आनाकानी करते हैं तो, बैंक तुरंत तीसरे पक्ष की गारंटी या आपके रखी हुई संपत्ति को नीलाम कर सकती है.
इसीलिए कृषि लोन आपको हर कीमत पर चुकाना ही पड़ेगा, क्योंकि यह एक सुरक्षित लोन है. आइए आगे कॉलोनी दो पेज को अच्छे से समझते हैं.
किसान क्रेडिट कार्ड लोन न चुकाने पर क्या होगा?
किसान क्रेडिट कार्ड का लोन नहीं चुकाने पर एक बार में कुछ नहीं होता है. लोन नहीं चुकाने वाले पर, बैंक एक बार शिकंजा नहीं कस्ता है. भारतीय कानून के अनुसार, चरण दर चरण बैंक स्टेप लेता है.
पहला स्टेप – रिकवरी एजेंट
अगर आप समय पर अपने कृषि लोन का ईएमआई नहीं दे पाते हैं तो ऐसे में रिकवरी एजेंट आपके घर पर आ सकता है या आपको फोन कॉल कर सकता है.
रिकवरी एजेंट आप पर किसी प्रकार का दबाव नहीं डाल सकता है, ना ही आपके साथ बदतमीजी कर सकता है. रिकवरी एजेंट ऑफिशियल ओवर में ही आपके घर पर आ सकता है या फिर आपको फोन कॉल कर सकता है.
दूसरा स्टेप – नोटिस
अगर आप लगातार 3 या उससे अधिक ईएमआई नहीं दे पाते हैं तो ऐसे में बैंक आपको नोटिस भेजेगा.
अगर आप नोटिस का जवाब देते हैं तो, आप अपने लोन का सेटलमेंट बैंक जाकर के बैंक मैनेजर के साथ कर सकते हैं.
यदि आप नोटिस का जवाब नहीं देते हैं तो ऐसे में बैंक आगे की कार्रवाई करेगी.
तीसरा स्टेप – डिफॉल्ट एवं एनपीए
अगर बैंक को तय सीमा में आप को भेजे गए नोटिस का जवाब नहीं मिलता है तो बैंक आपको सबसे पहले डिफॉल्टर घोषित कर देगा. बैंक जैसे ही आपको डिफॉल्टर घोषित करेगा तो ऐसे में आपका सिबिल स्कोर तुरंत खराब हो जाएगा.
सिबिल स्कोर खराब होते ही आपको भविष्य में लोन लगभग नहीं मिलने के चांसेस बन जाएंगे. जो लोग भी डिफॉल्टर होते हैं उसके लोन को बैंक एनपीए के कैटेगरी में डाल देती है.
चौथा स्टेप – कोर्ट केस
जब कोई भी बैंक लोन को इन पिए कैटेगरी में डाल देती है तो वह कानूनी कार्रवाई के लिए कोर्ट केस में तब्दील हो जाता है.
आपके लोन जब एनपीए में बदल जाता है तो कोर्ट में लंबा केस चलता है. कोर्ट का जब तक फैसला नहीं आता है आप के रखे हुए संपत्ति की नीलामी नहीं हो सकती है.
माननीय कोर्ट के आदेश के अनुसार ही नीलामी की प्रक्रिया आगे बढ़ती है. याद रहे कि कानूनी कार्रवाई में बैंक का जो भी पैसा खर्च होगा वह आपके लोन में जोड़ दिया जाएगा.
पांचवा स्टेप – नीलामी
जब आप कोर्ट में यह घोषित कर देते हैं कि आप लोन नहीं चुका पाएंगे तो ऐसे में बैंक आदेश देती है कि आपकी प्रॉपर्टी को नीलाम किया जाए.
मान लीजिए कि आप ने गिरवी के रूप में अपना जमीन रखा है तो उसका नीलामी होगा. जमीन के नीलामी में आप भी रह सकते हैं.
नीलामी से प्राप्त जितना भी रुपया होगा, उससे बैंक पहले लोन की पूरी राशि एवं ब्याज के साथ साथ कानूनी प्रक्रिया में जो भी राशि खर्च हुआ है. इन तीनों को योग करके, नीलामी से प्राप्त कुल राशि से काटा जाएगा.
लोन, ब्याज और कानूनी कार्रवाई के खर्चे को काट कर के जो भी राशि बचेगी, वह आपको वापस दे दी जाएगी. अगर राशि घट जाए तो आपको देने के लिए कहा जाएगा.
अगर आप घटी भी राशि देने में असमर्थ घोषित कर देते हैं तो ऐसे में आप को जेल हो सकती है.
यदि आप अपना कृषि ऋण नहीं चुका सकते हैं तो क्या करें
अगर आप खुद को ऐसी स्थिति में पाते हैं, जहां आप अपना कृषि ऋण नहीं चुका सकते हैं, तो घबराएं नहीं. आपके लिए कुछ विकल्प उपलब्ध हैं.
एक विकल्प यह है कि आप अपने बैंक के साथ अपने लोन की शर्तों को आजमाएं और फिर से बातचीत करें. इसमें पुनर्भुगतान अवधि बढ़ाना या ब्याज दर में बदलाव शामिल हो सकता है.
यदि आप अपने बैंक के साथ एक समझौता करने में सक्षम हैं, तो सुनिश्चित करें कि आप इसे लिखित रूप में प्राप्त करते हैं ताकि बाद में कोई भ्रम न हो.
सबसे बेहतर विकल्प: एक अन्य विकल्प यह है कि लोन चुकाने के लिए आवश्यक धन जुटाने के लिए अपनी कुछ संपत्तियों को बेच दिया जाए. क्योंकि नीलामी में आपके संपत्ति का बाजार से कम कीमत मिलेगा.
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इसमें भूमि, पशुधन या उपकरण बेचना शामिल हो सकता है. यदि आप इस मार्ग पर जाते हैं, तो सुनिश्चित करें कि आपको अपनी संपत्ति का उचित बाजार मूल्य मिले.
आप जो कुछ भी करते हैं, बस अपने ऋण से दूर न भागें और आशा करें कि कोई और उसकी देखभाल करेगा.
Conclusion Points
कृषि लोन या किसान क्रेडिट कार्ड लोन न चुकाने पर क्या होता है? मौजूदा कानून क्या है? अब आप जान चुके हैं. बेहतर होगा कि आप अपने संपति को नीलामी से पहले ही अच्छे कीमत पर बेचकर के लोन की अदायगी कर दें.
आप जानते ही हैं कि कानूनी कार्रवाई एवं अदालती खर्च जो भी होंगे, वह आपके Loan में जोड़ दिया जाता है, दूसरी तरफ नीलामी में हमेशा संपत्ति का मार्केट से कम कीमत में बिकता है. बाकी आप अपने वकील से और बेहतर राय ले सकते हैं.
FAQsकर्ज नहीं चुकाने पर क्या-क्या हो सकता है, इससे संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर को इस आर्टिकल में शामिल किया गया है. इन प्रश्नों के उत्तर को पढ़ करके आप ज्यादा जानकारी प्राप्त कर पाएंगे. प्रश्न (1) – यदि कृषि ऋण का भुगतान नहीं किया जाता है तो क्या होता है?उत्तर – किसान अपनी जमीन या अन्य संपत्ति को संपार्श्विक के रूप में खो सकता है. इससे आर्थिक परेशानी हो सकती है और बर्बादी भी हो सकती है. किसान पर कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है. यदि लोन का भुगतान नहीं किया जाता है, तो ऋणदाता भूमि या संपार्श्विक के रूप में उपयोग की जाने वाली अन्य संपत्ति पर कब्जा कर सकता है. प्रश्न (2) – केसीसी एनपीए होने का क्या मतलब है?उत्तर – शब्द “KCC NPA” एक गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) को संदर्भित करता है जिसे किश्वंत सहकारी क्रेडिट सोसाइटी (केसीसी) द्वारा लोन दिया गया है. एनपीए एक परिसंपत्ति है, आमतौर पर एक लोन, जिसे मूल शर्तों पर सहमति के अनुसार चुकाया नहीं जा रहा है. जब कोई संपत्ति एनपीए बन जाती है, तो उसे “डिफॉल्ट” कहा जाता है. प्रश्न (3) – अगर कर्जदार मर जाता है तो, कृषि ऋण का क्या होता है?उत्तर – कर्जदार की मृत्यु की स्थिति में, संपत्ति द्वारा कृषि या फसल ऋण का पूरा भुगतान किया जाता है. प्रश्न (4) – किसान क्रेडिट कार्ड धारक की मृत्यु होने पर क्या होता है?उत्तर – किसान क्रेडिट कार्ड से लोन लेने के बाद कर्जदार की अगर असमय मृत्यु हो जाए तो, ऐसी स्थिति में बैंक अपना पूरा लोन एवं ब्याज़ मृतक के संपत्ति से वसूल करता है. प्रश्न (5) – लोन न चुकाने पर जेल हो सकती है?उत्तर – अगर नीलामी के बाद भी, बैंक अपने पूरे लोन की राशि ब्याज एवं कानूनी कार्रवाई में हुए खर्च की रिकवरी नहीं कर पाता है तो ऐसे में फौजदारी का केस चलता है. कर्जदार पर फौजदारी का केस चलने के बाद, कोर्ट के फैसला के बाद ही लोन नहीं चुकाने वाले को जेल हो सकती है. प्रश्न (6) – EMI नहीं चुकाने पर क्या होता है?उत्तर – अगर कोई भी व्यक्ति 3 या उससे ज्यादा ईएमआई यानी कि किश्ती जमा नहीं कर पाता है तो ऐसे में बैंक उस व्यक्ति को डिफॉल्टर घोषित कर देता है. डिफॉल्टर होने पर, बैंक लोन को npa में बदल देती है उसके बाद मामला कोर्ट चला जाता है. अगर लोन लेने वाला व्यक्ति कोर्ट के समक्ष लोन, ब्याज एवं कानूनी कार्रवाई में हुए खर्चे को जमा करने में असमर्थ घोषित कर देता है तो, कोर्ट उसके Property को नीलामी का आदेश देता है. नीलामी के बाद, यह तीनों खर्चे काटकर के जो राशि बच जाती है तो उसे पार्टी को वापस कर दिया जाता है. अगर नीलामी के बाद राशि घट जाए तो ऐसे में, कर्जदार पर फौजदारी का केस चलता है. अगर घटी हुई राशि को अदालत में जमा नहीं करते हैं तो, कर्जदार को जेल हो सकती है.
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