EMI नहीं चुकाने पर क्या होता है? जानिए 2024 का कानूनी प्रक्रिया
लोन का EMI नहीं चुकाने पर क्या होता है? यदि कोई व्यक्ति अपनी ईएमआई का भुगतान नहीं करती है, तो यह लोन समझौते का उल्लंघन है और कानूनी कार्रवाई सहित दंड के अधीन हो सकता है।
उस व्यक्ति की CIBIL Score भी डाउनग्रेड या नेगेटिव हो सकता है, जिससे उस व्यक्ति के लिए भविष्य में बैंक से Loan लेना और मुश्किल हो जाएगा। आइए, अब पूरे विस्तार से कानूनी दांव पेज को जानते हैं, साथ ही बचने के उपाय भी जानेंगे।
EMI Kya Hai? | |
इक्वेटेड मंथली इंस्टॉलमेंट का हिंदी में मीनिंग समान मासिक किस्त होता है. जिसे संक्षिप्त में EMI लिखते हैं. आम बोलचाल में इसे किस्त भी बोलते हैं.
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EMI नहीं चुकाने पर क्या होता है? | |
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आपका क्रेडिट स्कोर प्रभावित होगा
सभी बैंकों और एनबीएफसी से अपेक्षा की जाती है कि वे सीआईबीआईएल और इक्विफैक्स जैसे क्रेडिट ब्यूरो को किसी भी तरह के भुगतान की सूचना दें। एक बार रिपोर्ट करने के बाद, यह आपके सिबिल स्कोर को बुरी तरह से प्रभावित करेगा, जिससे आपके लिए किसी भी तरह का क्रेडिट लोन प्राप्त करना नामुमकिन हो जाएगा।
सभी बैंकों और एनबीएफसी को इसकी जानकारी देने के लिए सिबिल और इक्विफैक्स जैसे क्रेडिट ब्यूरो को भुगतान न करने की सूचना देनी होगी। एक बार रिपोर्ट करने के बाद, यह आपके सिबिल स्कोर को कम या नेगेटिव कर देगा और भविष्य में आपके लिए क्रेडिट प्राप्त करना मुश्किल बना देगा।
सभी बैंकों और गैर-बैंक कंपनियों को राष्ट्रीय उपभोक्ता सूचना ब्यूरो (CIBIL) को देर से भुगतान या भुगतान नहीं करने वाले व्यक्तियों के सभी मामलों की रिपोर्ट करने की बाध्यता होती है।
नेगेटिव रिपोर्ट के परिणामस्वरूप, आपका CIBIL स्कोर और FICO स्कोर दोनों बहुत बहुत खराब हो जाएगा। इस कारण से, आपके लिए भविष्य में लोन के लिए अर्हता प्राप्त करना कठिन हो जाएगा।
आपके गारंटर पर किया प्रभाव होगा?
यदि आपके किसी प्रकार के लोन पर सह-हस्ताक्षरकर्ता या गारंटर हैं तो आपका सह-हस्ताक्षरकर्ता भी बुरी तरह प्रभावित होगा, समय का भुगतान न करने से आपकी क्रेडिट रेटिंग भी प्रभावित होगी ही स़ाथ ही गारंटर कभी क्रेडिट रेटिंग खराब होगा।
इसके अलावा, लोन रिकवरी एजेंट आपको फोन करके परेशान तो करेंगे ही उसके साथ साथ आपके गारंटर वह भी फोन आते रहेगा।
आपके गारंटर को भी लगातार एसएमएस (SMS) और ईमेल आते रहेंगे। फिर भी अगर आपने ईएमआई नहीं चुकाया है तो बैंक आप को या फिर आपके गारंटर को भी डिफॉल्टर घोषित कर देगी।
जहां तक नीलामी की बात है तो पहले आपकी संपत्ति को Nillam करने का कोर्ट आदेश दे सकती है। आपके संपत्ति के नीलामी के बाद, लोन और कानूनी कार्रवाई एवं अदालती खर्च निकल जाता है तो आपका गारंटर बच जाएगा।
अगर पूरा खर्च नहीं निकलता है तो अदालत गारंटर के संपत्ति को भी नीलाम करने का आदेश दे सकता है। नीलामी के बाद, बैंक का बकाया लोन कानूनी कार्रवाई के खर्चे और अदालती खर्चों के बाद, रुपया बच जाए तो गारंटर को मिलेगा।
आपकी आर्थिक चिंताएं बढ़ेंगी
देर से भुगतान शुल्क, दंड, कानूनी लागत जैसी लागतें आपके अनसुलझे लोन शेष में जोड़ दी जाती हैं, जिससे कुल बकाया राशि प्रारंभिक लोन की तुलना में बहुत अधिक हो जाती है।
लोन की रिकवरी में कौन-कौन सा फीस वसूल होता है?
- पहला – लोन और ब्याज
- दूसरा – बैंक के द्वारा लगाया गया दंड शुल्क
- तीसरा – रिकवरी एजेंट के आपके घर तक आने-जाने के साथ फोन करने का खर्च और उसकी सैलरी का खर्च
- चौथा – कानूनी कार्रवाई के खर्च
- पांचवा – अदालत में वकील का खर्च और जितने दिन अदालत में केस चलेगा, इतने दिनों तक का ब्याज.
लोन और ब्याज के अलावा बाकी बाकी खर्चों को जोड़ दिया जाए तो लोन लगभग दोगुना से भी अधिक हो जाता है. जिसे आपको हर हालत में अदा करना होगा.
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इस दुगुने लोन पर भी और भी ब्याज जुड़ता जाएगा. जब तक की संपत्ति के नीलामी के बाद लोन के पास पूरा पैसा वापस ना जाए। इस प्रकार की समस्या आपका हमेशा आर्थिक चिंताएं बढ़ाते रहेगा।
समस्या का हल, बैंक के साथ मिलकर कैसे निकालें?
थोड़े से प्रयास से, आप अपने उधार देने वाले बैंक के साथ किसी भी प्रश्न का हल ढूंढ सकते हैं। बस अपने वित्तीय बैंक से संपर्क करें, डिफ़ॉल्ट का कारण बताएं, और उनके पास आपके लिए एक समाधान हो सकता है, जिससे आप दोनों को लाभ होगा।
भुगतान करने के लिए अपने बैंक से और समय मांगें। यदि वह काम नहीं करता है, तो मध्यस्थता के माध्यम से बैंक के साथ एक समझौता करें।
अक्सर देखा गया है कि बैंक भी आपके साथ सेटलमेंट करने के लिए कोशिश करती है इस बाबत कुछ Interest और fees को माफी करती है। जिससे आपका लोन अमाउंट कम हो जाएगा।
बचे हुए लोन अमाउंट को आप लंबे समय के लिए एक नया ईएमआई बनवा सकते हैं। जिसे आप धीरे-धीरे करके चुका सकते हैं।
अगर आप अपनी ईएमआई का भुगतान नहीं करते हैं तो क्या होगा?
यदि आप अपनी ईएमआई का भुगतान नहीं करते हैं, तो परिणाम गंभीर हो सकते हैं। आप पर मुकदमा चलाया जा सकता है, और आपका क्रेडिट स्कोर गिर सकता है, जिससे भविष्य में पैसे उधार लेना और मुश्किल हो जाएगा।
आपको एक संग्रह agee को भी सौंप दिया जा सकता है, जो आपको भुगतान करने के प्रयास में कॉल और पत्रों से परेशान कर सकती है।
यदि आप अपनी ईएमआई का भुगतान नहीं करते हैं, तो परिणाम भयानक हो सकते हैं। आपका लोन डिफॉल्ट हो सकता है और आप पर अदालत में मुकदमा चल सकता है।
इस तरह के ज्यादातर मुकदमों में देखा गया है कि बैंक लोन लेने वाले डिफॉल्टर व्यक्ति के संपत्ति को नीलाम करने का आदेश दे देती है।
नीलामी से बेहतर है कि, अपने संपत्ति को बाजार के अच्छे रेट में बेचकर के, लोन अदा कर देना समझदारी कही जा सकती है। क्योंकि आगे पढ़िए।
बैंक आपके संपत्ति को नीलाम करने के लिए लंबे समय तक इंतजार नहीं करता है, उसे बस अपना रुपया से मतलब होता है।
मान लीजिए कि, मार्केट में उस संपत्ति का दाम ₹1 करोड़ है, लेकिन बैंक उसे 50 लाख तक में भी नीलाम कर देती है। बैंक तो अपना ₹50 लाख वसूल कर लेगी, लेकिन आपका ₹50 लाख डूब जाएगा। क्योंकि संपत्ति का मार्केट मूल्य ₹1 करोड़ था.
जेल जाने से बचने के लिए, दिवालिया घोषित करने का बेहतर विकल्प हो सकता है
जी हां सिर्फ मैं ऐसा आपको नहीं कह रहा हूं। आपसे पहले यह काम विजय माल्या जी कर चुके हैं। भारत का कोई भी व्यक्ति अपने आप को कोर्ट के समक्ष दिवालिया घोषित कर सकता है।
भारत के चालाक लोग अपनी संपत्ति को बेचने के बाद या अपने किसी को देने के बाद, अपने आप को कोर्ट के सामने दिवालिया घोषित कर देते हैं।
दिवालिया घोषित करने का मतलब है कि आपके पास कोई भी संपत्ति नहीं है जो है वह बैंक के पास है। बैंक जब आप के खिलाफ अदालत में मामला को लेकर जाती है तो बैंक उस संपत्ति को नीलाम करने का आदेश देता है।
चलाक लोग उस संपत्ति को इतना छोटा बना देते हैं कि, उससे नीलाम करने के बाद बैंक का पूरा पैसा वसूल नहीं होता है। इस तरह से बैंक का पैसा डूब जाता है।
जब कोई अपने आप को दिवालिया घोषित कर देता है तो बैंक उसे जेल नहीं भेज सकती है. क्योंकि उस व्यक्ति ने पहले ही अदालत में बता चुका है कि मेरे पास अब कुछ नहीं बचा है।
दिवालिया व्यक्ति को बैंक जेल क्यों नहीं भेजती है? भारत में ऐसा कानून है, दूसरा पक्ष है कि दिवालिया व्यक्ति का गिरवी रखा हुआ जो संपत्ति बैंक के पास है.
उसको नीलाम करने के बाद, बैंक को पैसा अदा किया जाता है. नीलामी के बाद बैंक से पैसा बच जाए तो वह पैसा सरकार के पास चला जाता है।
लोन डिफॉल्टर के लिए कानून 2024 में, क्या है?
भारतीय संविधान ने फाइनेंस कंपनी के अधिकार दिए हैं जिसके तहत, लोन चूककर्ता कानून एक कानूनी ढांचा है जो लेनदारों को उन उधारकर्ताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने में सक्षम बनाता है जो अपना लोन चुकाने में विफल रहे हैं।
यह कानून लेनदारों को उन पर बकाया धन की वसूली के लिए संपत्ति को जब्त करने या नीलमी जैसे कदम उठाने की अनुमति देता है।
लोन चूककर्ता कानून लेनदारों के लिए एक महत्वपूर्ण कानूनी हथकंडा है, क्योंकि यह उन्हें अपने निवेश की रक्षा करने में मदद करता है और यह सुनिश्चित करता है कि उन्हें जो बकाया है उसे चुकाया जाए।
जिस बैंक से लोन लिया था, वह बैंक डूब जाए तो
बैंक डूबने को ले करके आप कोई ना कोई समाचार सुनते रहते हैं। आपके मन में कभी यह ख्याल आया होगा कि मैंने जिस बैंक से लोन ले रखा है! अगर वह बैंक पूरी तरह डूब जाए तो क्या होगा?
जब कोई बैंक डूबती है तो, उसका लोन खाता को सरकार किसी दूसरे बैंक को ट्रांसफर कर देती है। इस तरह से कर्जदार को हर कीमत पर दूसरे बैंक को लोन अदा करने के लिए बाध्य होता है।
बैंक के डूबने से कर्जदार का कोई भला नहीं होता है उसे लोन चुकाना ही होता है या ऐसा भी हो सकता है कि उसका ईएमआई ज्यादा हो। क्योंकि नए बैंक का ब्याज दर एवं अन्य शुल्क थोड़ा अलग भी हो सकता है।
Conclusion Points
लोन चूककर्ता कानून, India में एक विनियमन है जो छूटे हुए लोन चुकौती के परिणामों को नियंत्रित करता है। कानून यह निर्धारित करता है कि बैंक व्यक्तियों या व्यवसायों को उधार दिए गए लोन की वसूली के लिए कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं।
जिसमें चल और अचल संपत्ति जब्त करना और कई भुगतान चूकने वाले उधारकर्ताओं को गिरफ्तार करना शामिल है।
कौन बच सकता है? अगर कोई व्यक्ति बैंक से असुरक्षित लोन लेता है, और वह ईएमआई नहीं चुकाता है. उस व्यक्ति का सिर्फ क्रेडिट स्कोर खराब होता है.
असुरक्षित लोन का मतलब हुआ कि लोन लेने वाले व्यक्ति ने, लोन लेते समय अपनी कोई भी संपत्ति बैंक के पास गिरवी या बंधक नहीं रखा था। ना ही उसने किसी आवेदक या गारंटर को रखा था।
FAQsबैंक से लिए गए लोन को ना चुकाने पर आपके साथ क्या-क्या हो सकता है. इससे संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नों को लेकर इस अनुभाग में शामिल किया गया है. इन प्रश्नों के उत्तर को पढ़ करके आप उचित ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं तो देर किस बात की, आगे पढ़िए. प्रश्न (1) – कोई व्यक्ति अपना ऋण चुकाने में असमर्थ घोषित कर दे तो उसके साथ क्या होता है?उत्तर – कोई व्यक्ति अपने आप को दिवालिया घोषित करते हैं या लोन चुकाने के लिए असमर्थ घोषित कर दें तो वह जेल जाने से बच सकता है. ज्यादा जानकारी के लिए यहां पर क्लिक करें. प्रश्न (2) – यदि कृषि ऋण का भुगतान नहीं किया जाता है तो क्या होता है?उत्तर – अगर किसी दिन को समय पर भुगतान मां किया जाए तो गिरवी रखी हुई संपत्ति का नीलामी हो सकता है या फिर जेल भी हो सकता है, अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें. प्रश्न (3) – कृषि लोन न चुकाने पर क्या होता है?उत्तर – कृषि लोन नहीं चुकाने पर बैंक के पास गिरवी रखी हुई संपत्ति का नीलामी हो सकता है. अगर नीलामी की गई संपत्ति से लोन की वसूली एवं अदालती खर्चा पूरा ना हो तो कर्जदार पर फौजदारी का केस चलता है. Jail जाने की भी नौबत आ सकती है, अधिक जानकारी के लिए यहां पर पढ़ें. प्रश्न (4) – एजुकेशन लोन न चुकाने पर क्या होता है?उत्तर – एजुकेशन लोन समय पर ना चुकाने पर, तीसरे पक्ष या गिरवी रखी हुई संपत्ति का नीलामी हो सकता है. अधिक जानिए. प्रश्न (5) – बैंक का लोन न चुकाने पर क्या होता है?उत्तर – अगर बैंक का लोन आ चुका है जाए तो ऐसे ही स्थिति में गिरवी रखी गई संपत्ति का नीलामी होता है! ऐसा सिर्फ और सिर्फ सुरक्षित लोन में होता है. जबकि असुरक्षित लोन में सिर्फ सिबिल स्कोर खराब होता है. अधिक जानकारी. प्रश्न (6) – Mobile EMI नहीं चुकाने पर क्या होता है?उत्तर – अगर आप अपने मोबाइल को ईएमआई पर खरीदा है और उसका आप दो-तीन ईएमआई देने में चुक जाते हैं तो आपका मोबाइल ऑटोमेटिक काम करना बंद कर देगा। ऊपर लिखे गए रिकवरी की प्रक्रिया आपके साथ भी अपनाई जा सकती है। प्रश्न (7) – क्रेडिट कार्ड लोन न चुकाने पर क्या होता है?उत्तर – क्रेडिट कार्ड से लोन लेने के बाद ना चुकाने पर सबसे पहले उस व्यक्ति का सिबिल स्कोर को निगेटिव कर दिया जाता है। जिससे उसे भविष्य में कोई भी और बैंक से लोन नहीं मिल पाता है। ऊपर लिखे गए रिकवरी की प्रक्रिया आपके साथ भी अपनाई जा सकती है। प्रश्न (8) – Loan nahi bhara to kya hoga?उत्तर – लोन देने के बाद अगर उसे नहीं देंगे तो आप का संपत्ति का नीलामी से लेकर गिरफ्तारी तक हो सकती है। ऊपर लिखे गए रिकवरी की प्रक्रिया आपके साथ भी अपनाई जा सकती है। प्रश्न (9) – पर्सनल लोन न चुकाने पर क्या होगा?उत्तर – आपके संपति का नीलामी से लेकर के आपका गिरफ्तारी तक हो सकता है लेकिन यह एक लंबा प्रक्रिया है। ऊपर लिखे गए रिकवरी की प्रक्रिया आपके साथ भी अपनाई जा सकती है। प्रश्न (10) – लोन न चुका पाने वाले के पास क्या क्या अधिकार होते हैं?उत्तर – भारत सरकार एवं रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने लोन न चुका पाने वालों के लिए कुछ अधिकार बनाए हैं. जिसके तहत रिकवरी एजेंट किसी भी कर्जदार के साथ बदतमीजी नहीं कर सकता है, और अधिक जानिए. प्रश्न (11) – बैंकों में एनपीए वसूली हेतु विधिक प्रावधान क्या होता है?उत्तर – इसके लिए मैंने एक अलग से आर्टिकल लिखा है. इसको पढ़कर आप ज्यादा से ज्यादा लाभ प्राप्त कर पाएंगे. प्रश्न (12) – लोन न चुकाने पर जेल हो सकती है?उत्तर – लोन न चुका पाने पर जेल तभी हो सकता है. जब गिरवी रखी हुई संपत्ति का नीलामी के बाद, कर्ज से कम राशि प्राप्त हो और उस व्यक्ति ने पहले अपने आप को कोर्ट के द्वारा दिवालिया घोषित ना किया हो. प्रश्न (13) – अगर मृतक के पत्नी या बच्चे ईएमआई ना चुकाने पर क्या होगा?उत्तर – मृतक ने जो संपत्ति लोन लेते समय बैंक के पास गिरवी रखी थी या जानकारी दिया था उस संपत्ति का नीलामी होगा। ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि मृतक के पत्नी या मृतिका के पति को या उनके बच्चों को जेल जाने की नौबत नहीं आई है। |