पर्सनल लोन इन केस ऑफ़ डेथ क्या होता है? आइए इस लेख के माध्यम से आपको 2023 के नियमों से रूबरू कराते हैं. FAQs+ के अनुभाग तक लेख को चेक कीजिए.
पहले के वक्त में व्यक्तियों को सिर्फ रहने, खाने और पहनने की फिक्र होती थी और पहले के समय में अभी के तरह महँगाई भी नहीं थी। आज के दौर में लोगों की आवश्यकताएं बढ़ गई है।
महँगाई के इस दौर में बच्चों को पढ़ाने से लेकर उनकी शादी करना, घर बनाना, business करना, गाड़ी खरीदना इत्यादि। इस तरह की बहुत सी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आमदनी कम पड़ती तो लोगों के पास loan का option ही रह जाता है।
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Bank & financial institutions द्वारा हर जरूरत के लिए loan provide किया जाता है। लेकिन सारे banks & financial institutions अलग अलग interest rate पर loan उपलब्ध कराते हैं।
अलग अलग प्रकार के loan के लिए भी अलग अलग interest rate लिया जाता है। जैसे कि Personal Loan, Car Loan, Home Loan, Education Loan सबका interest rate अलग अलग होता है।
Loan एक तय समय के लिए दिया जाता है। इस अवधि के अंदर हमें EMI में loan का भुगतान करना होता है। बहुत से स्थिति में ऐसा होता कि loan लेने वाले व्यक्ति की दुघर्टना के कारण किसी बीमारी के कारण या फिर किसी भी कारण से अचानक मृत्यु हो जाती है।
अक्सर लोगों के मन में ये सवाल आता है कि क्या ऐसी स्थिति में उसका loan माफ कर दिया जाता है। क्या ये संभव है कि लोन लेने वाले व्यक्ति की अचानक मृत्यु होने पर उसका लोन माफ हो जाएं?
आइए विस्तार से जानते हैं कि पर्सनल लोन इन केस ऑफ़ डेथ में क्या होता है? इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए article को पूरा पढ़ें। इसमें आपके लिए इससे संबंधित पूरी जानकारी दी जा रही है।
अगर loan चुकाने से पहले personal loan लेने वाले व्यक्ति की मृत्यु हो जाए तो क्या होगा?
Personal loan लेने वाले व्यक्ति की मौत हो जाने पर बैंक उसके loan को माफ नहीं करती है। बैंक अपना loan वसूलती है।
हमें ये पता चला कि बैंक अपने लोन को माफ नहीं करती है तो फिर ये loan bank किससे वसूल करेगी? इस loan को चुकाने का जिम्मेदार कौन होगा विस्तृत तौर पर जानते हैं।
Personal loan लेने वाले व्यक्ति की मौत के बाद loan चुकाने का जिम्मेदार कौन होता है?
Personal loan apply करते समय bank के terms & conditions को ध्यान से पढ़ने पर आपको ये अच्छे से समझ आ जाएगा कि bank loan provide करने से पहले ही इस बात को सुनिश्चित कर देती है कि, यदि personal loan प्राप्त करने वाले व्यक्ति की किसी भी कारणवश अचानक मौत हो जाएं तो इस स्थिति में loan का भुगतान कौन करेगा?
Personal loan लेने वाले व्यक्ति की मौत हो जाने पर bank उस लोन को अलग-अलग प्रकार से वसूल करती है
Personal loan प्राप्त करने वाले की मौत होने पर आम तौर पर bank द्वारा तीन प्रकार से loan वसूल करती है। Personal loan के amount तक का insurance bank पहले ही ले लेती है। जिसका premium loan प्राप्त करने वाले व्यक्ति से लिया जाता है।
यानि कि personal loan amount का insurance bank पहले ही ले चुकी है तो bank insurance company से loan वसूल करेगी।
Personal loan प्राप्त करते समय अगर bank के पास security के तौर पर कोई property रखी हो जैसे कि gold, flat या plot के documents, fixed deposits इत्यादि जो भी bank के पास गिरवी रखी हो उस property को बेच कर bank अपना loan वसूल कर लेगी।
Personal loan देते समय अगर bank द्वारा ना loan amount का insurance लिया हो और ना ही कोई property security के तौर पर रखा गया हो तो इस स्थिति में bank अपना loan नीचे दिए गए लोगों से वसूलती है।
Personal loan देते समय जो व्यक्ति guarantor हो उससे या loan के co applicant से या फिर loan प्राप्त करने वाले व्यक्ति के उत्तराधिकारियों से जो उसके बेटे बेटियां हो या वसीयतनामे के आधार पर जो loan प्राप्त करने वाले व्यक्ति के property का उत्तराधिकार हो उससे वसूल करती है।
भारतीय कानून के आधार पर किसी व्यक्ति के मरने पर जो उसका चाहे वो कानून के अनुसार या वसीयत नामे के अनुसार उत्तराधिकार होता है। वही उस व्यक्ति के मरने के बाद उसके दायित्वों का भी उत्तराधिकारी माना जाता है।
अब आप समझ गए होंगे कि अगर कोई व्यक्ति personal loan प्राप्त करता है और उसकी अचानक दुर्घटना या किसी बीमारी या किसी भी कारणवश मौत हो जाए तो उसके loan को चुकाने की responsibility उस व्यक्ति के उत्तराधिकार पर होता है।
आम तौर पर उत्तराधिकार परिवार वाले ही होते हैं लेकिन कभी ये भी हो सकता है कि उत्तराधिकार उसके वसीयतनामा के आधार पर उसके परिवार का ना होकर कोई और भी हो सकता है।
जैसा कि इस article को पढ़ने ये साफ तौर पर स्पष्ट हो गया है कि कोई भी व्यक्ति अगर पर्सनल लोन प्राप्त करता है और उसकी मौत हो जाए तो बैंक उसके loan को माफ नहीं करती है।
बैंक अपना loan किसी भी कानूनी तरीके insurance से, गिरवी रखे गए property से या loan प्राप्त करने वाले व्यक्ति के उत्तराधिकार से वसूल कर लेती है.
पर्सनल लोन लेते समय इंश्योरेंस क्यों लेना चाहिए?
पर्सनल लोन लेते समय बीमा क्यों लेना चाहिए, इसके कुछ कारण हैं। पहला, अगर उधारकर्ता को कुछ होता है और वे भुगतान करने में असमर्थ होते हैं, तो बीमा लोन को कवर करेगा।
यह ऋणदाता को नुकसान से बचाता है और यह भी सुनिश्चित करता है कि उधारकर्ता का परिवार कर्ज से न छूटे। दूसरा, बीमा ऋण पर ब्याज दर को कम करने में मदद कर सकता है।
ऐसा इसलिए है क्योंकि बैंक बीमाकृत loan को कम जोखिम भरा मानते हैं और इसलिए वे कम दरों की पेशकश करने को तैयार हैं।
भारत में लगभग सभी पर्सनल लोन एक प्रकार का सिक्योर्ड लोन होता है! इसका मतलब यह हुआ कि बैंक किसी ना किसी प्रकार से अपना पूरा लोन और ब्याज वसूल करेगा।
अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाए और उन्होंने लोन लेते समय इंश्योरेंस ले लिया हो तो उसके व्यक्तिगत प्रॉपर्टी या फिर कैलेंडर पर बैंक का कोई प्रभाव नहीं होता है।
Conclusion Points
उम्मीद करता हूँ कि पर्सनल लोन इन केस ऑफ़ डेथ से रिलेटेड ये सारी जानकारी आपके लिए फायदेमंद होगी। Loan से संबंधित कई प्रकार के articles हमारे website पर उपलब्ध हैं।
क्या आप जानते हैं कोई आदमी अगर जानबूझकर लोन का ईएमआई नहीं चुकता है तो उसके साथ बैंक क्या करता है?
आप हमारे website पर visit कर के भी अलग अलग प्रकार के loan की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। धन्यवाद।
FAQs+ |
लोन ना चुकाने पर या मौत हो जाने पर क्या-क्या होता है? उससे संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर को इस आर्टिकल के अगले भाग में शामिल किया गया है. अगर आप पढ़ेंगतो आपको ज्यादा ज्ञान होगा. |
प्रश्न – लोन माफ कैसे होगा? |
उत्तर – भारतीय इतिहास में अब तक देखा गया है कि किसानों और उद्योगपतियों का ही लोन माफ हुआ है. अगर आप किसान हैं तो माफी के लिए बैंक में अप्लाई करना होगा. |
प्रश्न – लोन न चुकाने पर जेल हो सकती है? |
उत्तर – लोन नहीं चुकाने पर शुरुआत में बैंक के तरफ से नोटिस आती है. अगर आप नोटिस का जवाब दे देते हैं तो आपको समय दिया जाएगा.
अगर आप नोटिस के जवाब नहीं देते हैं, तो ऐसे में बैंक आपको डिफॉल्टर घोषित कर देगी. उसके बाद आप पर, कोर्ट के तरफ से केस चलेगा. कोर्ट आपके संपत्ति की नीलामी का आदेश दे सकता है. अगर आपके संपत्ति की नीलामी से लोन का पूरा रकम के साथ कानूनी कार्रवाई में हुए खर्च वसूल हो जाती है तो आप को जेल नहीं होगी, अन्यथा जेल हो सकती है. |
प्रश्न – पर्सनल लोन माफ होगा कि नहीं? |
उत्तर – पर्सनल लोन अब तक के इतिहास में कभी भी किसी का माफ नहीं हुआ है. लोन माफ करने का फैसला सरकार का होता है. अभी तक देखा गया है कि सरकार ने ऐसा कोई फैसला नहीं लिया है. |
प्रश्न – Personal loan nahi bhara to kya hoga? |
उत्तर – पर्सनल लोन अगर आपने ना भरा हो तो आपको पहले बैंक के तरफ से कारण बताओ नोटिस आएगा. नोटिस का जवाब देते हैं तो आपको समय मिलेगा. नहीं देते हैं तो मामला कोर्ट चला जाएगा.
कोर्ट के आदेश पर आपकी संपत्ति का नीलामी हो सकता है. अगर उससे लोन के साथ-साथ कानूनी कार्रवाई के सभी खर्चे वसूल हो जाती है तो आप जेल नहीं जाना होगा. |
प्रश्न – NPA full form kya hota hai? |
उत्तर – एनपीए का फुल फॉर्म नॉन परफॉर्मिंग असेट्स होता है. जब कोई डिफॉल्टर लोन नहीं चुका पाता है तो बैंक उस राशि को एनपीए घोषित कर देता है. उसके बाद कोर्ट में केस चलता है. |
प्रश्न – किसान क्रेडिट कार्ड में किसान की मृत्यु होने पर क्या होता है? |
उत्तर – किसान क्रेडिट कार्ड से लोन लेने वाले किसान की अगर किसी वजह से भी मृत्यु हो जाए तो उसके वंश को लोन की राशि देना होता है.
क्योंकि किसान क्रेडिट कार्ड में लोन लेने से पहले बैंक जमीन के कागज लेती है. किसान के मृत्यु के बाद जमीन चाहे उसके बच्चे या पत्नी या किसी अन्य संबंधी के पास मलकाना हक चले जाए. बैंक उससे वह पैसे वसूल करती है. या जमीन की जमीन को नीलाम करती है. |
प्रश्न – धनी लोन न चुकाने पर क्या होगा? |
उत्तर – धनी लोग बहुत चालाक होते हैं. जब वह लोन नहीं चुका पाते हैं तो, उससे पहले ही वह कोर्ट के समक्ष अपने आप (विजय माल्या) को दिवालिया घोषित कर देते हैं.
कोर्ट के समक्ष दिवालिया घोषित किए जाने पर, उसकी कंपनी के संपत्ति को नीलाम किया जाता है. नीलामी से जो पैसा आता है, उस पैसे से बैंक के लोन को अदा किया जाता है. नीलामी से बैंक को देने के बाद, पैसा बच जाए तो सरकार के फंड में चला जाता है. कंपनी के नीलामी से पैसा चाहे कम आए या ज्यादा आए, दोनों ही स्थिति में कर्जदार को जेल जाने की नौबत नहीं आती है. |
प्रश्न – पर्सनल लोन न चुकाने पर क्या होता है? |
उत्तर – पर्सनल लोन लेते समय, बैंक चल एवं अचल संपत्तियों का ब्यौरा इसीलिए लेती है. जब लोन लेने वाला व्यक्ति लोन ना चुकाते हैं तो पैसा वसूल करने के लिए उसके संपति को नीलाम किया जाता है.
अगर नीलामी से पैसा वसूल नहीं होता है तो उस व्यक्ति पर फौजदारी का केस चलता है और उसे जेल जाना हो सकता है. इस मामले को कोर्ट तय करती है. |
प्रश्न – EMI नहीं चुकाने पर क्या होता है? |
उत्तर – ईएमआई नहीं चुकाने पर, बैंक ऋण धारक को डिफॉल्टर घोषित कर देती है.
उसके बाद मामला कोर्ट चले जाता है. कोर्ट कुछ दिनों के बाद उसके संपत्ति को नीलाम करने का आदेश देता है. अगर नीलामी से पैसा वसूल हो गया तो ठीक है. नहीं तो ऋण धारक को जेल जाना होता है. |
प्रश्न – कर्ज न चुकाने की सजा क्या होती है? |
उत्तर – कर्ज न चुकाने की सजा संपत्ति की नीलामी से लेकर जेल जाने तक की हो सकती है. अगर कोई किसान या उद्योगपति है तो उनका लोन माफ भी हो सकता है लेकिन अन्य लोगों के लिए कोई गुंजाइश की संभावना नहीं है. |
प्रश्न – पर्सनल लोन की रिकवरी कैसे होता है? |
उत्तर – पर्सनल लोन रिकवरी के लिए आपके पास भी सरकार ने कुछ अधिकार दिए हैं. जिसके तहत रिकवरी एजेंट आप को गाली गलौज नहीं कर सकता है.
रिकवरी एजेंट सिर्फ ऑफिशियल आवर में आपको फोन कॉल कर सकता है. यहां तक कि वह आपके घर नहीं आ सकता है. लोन लेने वाला व्यक्ति, अगर रिकवरी एजेंट की बात नहीं मानता है तो ऐसे में बैंक उस व्यक्ति से आजिज होकर के उसे डिफॉल्टर घोषित कर देता है. उसके बाद मामला कोर्ट चला जाता है. कोर्ट अपने फैसले में पहले नीलामी का आदेश देता है. अगर नीलामी से पूरा पैसा वसूल हो गया तो ठीक है. नहीं तो व्यक्ति पर फौजदारी का केस चलता है. फौजदारी का केस चलने के बाद, व्यक्ति को जेल जाना पड़ सकता है. |