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आपको बता दें कि बिहार में मत्स्य यानी मछली पालन के लिए लोन या सब्सिडी के लिए मुख्य रूप से निम्नलिखित तीन योजनाएं हैं:
- पेन आधारित मछली पालन योजना
- मुख्यमंत्री मत्स्य विकास परियोजना
- राहत- सह – बचत योजना.
मछली पालन लोन के लिए बिहार में पेन आधारित मछली पालन योजना, मुख्यमंत्री मत्स्य विकास परियोजना और राहत- सह – बचत योजना है.
1) पेन आधारित मछली पालन योजना
पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग, बिहार के द्वारा पेन आधारित मछली पालन इकाई की स्थापना के लिए 10 लाख 50,000 रुपये लागत तय हुई है. इस योजना की सबसे अच्छी बात यह है कि बिहार सरकार 75% सब्सिडी देती है.
यानी कि 10 लाख 50,000 रुपये कि अगर आप लोन लेते हैं तो आपको 7 लाख 87 हजार 500 रुपये तब की सब्सिडी मिल जाएगा. बाकी बचे हुए रुपया ही आपका लोन होगा.
इस योजना का लाभ बिहार के किन किन जिलों में उपलब्ध है?
बिहार के 38 जिलों में से मुजफ्फरपुर, बेतिया, मोतिहारी, सिवान, छपरा, खगड़िया, पूर्णियां, कटिहार, सुपौल, सहरसा, किशनगंज, बेगुसराय, अररिया, मधेपुरा, दरभंगा और समस्तीपुर जिलों में यह योजना उपलब्ध है.
इन जिलों के लोग ही इस योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं. यह जिला बाढ़ प्रभावित जिलों में भी शामिल हैं.
2) मुख्यमंत्री मत्स्य विकास परियोजना
पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग, बिहार के द्वारा मुख्यमंत्री मत्स्य विकास परियोजना चलाया जाता है. जिसमें मछली पालन प्रोत्साहन के लिए सरकार के तरफ से लोन में सब्सिडी दिया जाता है.
नया तालाब निर्माण
- इकाई लागत 7 लाख प्रति हेक्टेयर
- अधिकतम 02 हेक्टेयर प्रति व्यक्ति का लाभ अनुमान्य
- अनुदान की राशि 40 प्रतिशत
- आद्रभूमि (चौर) का विकास
- इकाई लागत 5 लाख प्रति हेक्टेयर
- अधिकतम 05 हेक्टेयर प्रति व्यक्ति का लाभ अनुमान्य अनुदान की राशि 40 प्रतिशत.
रियरिंग तालाब निर्माण
- इकाई लागत 6 लाख प्रति हेक्टेयर
- अधिकतम 02 हेक्टेयर प्रति व्यक्ति का लाभ अनुमान्य
- अनुदान की राशि 40 प्रतिशत.
पुराने तालाब का जीर्णोद्धार
- इकाई लागत 3.5 लाख प्रति हेक्टेयर
- अनुदान की राशि 40 प्रतिशत.
प्रथम वर्ष इनपुट
- योजनान्तर्गत नव विकसित / निर्मित / जीर्णोद्धार तालाब हेतु
- इकाई लागत 1.5 लाख प्रति हेक्टेयर
- अनुदान की राशि 40 प्रतिशत.
ट्यूबवेल एवं पंपसेट अधिष्ठापन
- न्यूनतम 0.40 एकड़ जलक्षेत्र का तालाब होना आवश्यक
- इकाई लागत 0.75 लाख प्रति / इकाई
- अनुदान की राशि 40 प्रतिशत.
मत्स्य बीज हैचरी का अधिष्ठापन
- न्यूनतम 03 एकड़ जमीन की आवश्यकता
- इकाई लागत 22 लाख प्रति इकाई अनुदान की राशि 40 प्रतिशत.
मन एवं चौर में मत्स्य अंगुलिकाओं का संचयन
- इकाई लागत 2.50 रूपया प्रति मत्स्य बीज
- संचयन दर 2000 प्रति हेक्टेयर अनुदान की राशि 40 प्रतिशत.
विशेष जानकारी के लिए अपने जिले के जिला मत्स्य पदाधिकारी सह मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी के कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं। या टॉल फ्री नं. पर 1800345636815545 पर फोन कर सकते हैं.
3) राहत- सह – बचत योजना
पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग, बिहार के द्वारा वित्तीय वर्ष 2023-24 राहत- सह – बचत योजना अंतर्गत मछली पालन के लिए लोन दिया जाता है.
मछली पालन योजना का उद्देश्य
बिहार का मछली पालन योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य के विभिन्न नदियों में मछली का शिकारमाही करने वाले गरीबी रेखा के नीचे के मछुआरों को प्रतिषेध महीनों में राहत पहुँचाना है।
इस योजना के सफल क्रियान्वयन होने पर प्रतिषेध अवधि में प्रजनक मछलियों को प्रजनन करने का अवसर मिलेगा. जिससे नदियों में मछली बीज का स्वतः संचयन हो पायेगा एवं नदियों में मछली का उत्पादन एवं उत्पादकता में अभिवृद्धि हो सकेगी।
इस योजना से कितना रुपया मिलता है?
मछलियां शिकारमाही के प्रतिषेध महीनों में वित्तीय राहत पहुंचाने के उद्देश्य से प्रत्येक मछुआरों से वार्षिक ₹1500 का अंशदान किश्तों में प्राप्त किया जाता है।
साथ ही बिहार सरकार एवं केन्द्र सरकार के द्वारा भी ₹1500-₹1500 का वार्षिक अंशदान प्रत्येक मछुआरों को प्रदान किया जाता है।
अर्जित सूद सहित संचित मूल राशि को संबंधित मछुआरा को मत्स्य शिकारमाही प्रतिषेधित महीनों में उपलब्ध कराया जायेगा। इस प्रकार प्रत्येक मछुआ को न्यूनतम ₹4500 प्रतिबंधित महीनों में दिया जाता है।
यह योजना कब चलता है?
- माह जून से अगस्त तक नदियों में शिकारमाही प्रतिषेधित हो सकेगी।
- नदियों में मत्स्य प्रजनन में अभिवृद्धि होगी।
- जीविकोपार्जन हेतु पूर्ण रूप से आश्रित मछुआरा लाभान्वित होंगे।
- बाढ़ के समय में मछुआरों को आर्थिक राहत प्राप्त होगी।
मछुआरों का चयन कैसे होता है?
बिहार सरकार ने मछुआरों के चयन के लिए कुछ मापदंड तय किए हैं जो निम्नलिखित है:
- मछुआरा जो पूर्णकालिक मत्स्य शिकारमाही कार्य करते हो।
- मछुआरा जिनका उम्र न्यूनतम 18 तथा अधिकतम 60 साल तक हो।
- मत्स्यजीवी सहयोग समिति / निबंधित फेडरेशन / निबंधित वेलफेयर सोसाईटी / समूह के सदस्य हो एवं गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर करते हो।
- जिला मत्स्य पदाधिकारी सह मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी के द्वारा निर्गत निःशुल्क मत्स्य शिकारमाही प्रमाण-पत्र धारक हो।
कौन कौन से डाक्यूमेंट्स लगता है?
- स्व-अभिप्रमाणित दो पासपोर्ट साईज फोटो
- आधार कार्ड
- पूर्णकालिक मत्स्य शिकारमाही कार्य करने से संबंधित त्रिस्तरीय पंचायत समिति के सदस्य/पदाधिकारी अथवा मत्स्यजीवी सहयोग समिति के कार्यकारिणी के किसी सदस्य का अनुशंसा
- आय प्रमाण पत्र
- वार्षिक अंशदान की सहमति, मत्स्यजीवी सहयोग समिति / निबंधित फेडरेशन/ निबंधित वेलफेयर सोसायटी सदस्यता प्रमाण पत्र
- जिला मत्स्य पदाधिकारी सह मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी के द्वारा निर्गत निःशुल्क मत्स्य शिकारमाही प्रमाण-पत्र इत्यादि.
आवेदन कैसे किया जाता है?
बिहार मछली पालन योजना का अप्लाई ऑनलाइन होता है. इसके लिए आपको विभाग के ऑफिशियल वेबसाइट पर जाना होगा.
- पहला चरण – fisheries.bihar.gov.in वेबसाइट को ओपन करें.
- दूसरा चरण – अप्लाई टैब पर क्लिक करें.
- तीसरा चरण – सबसे पहले अपने मोबाइल नंबर से रजिस्ट्रेशन प्रोसेस को पूरा करें.
- चौथा चरण – मांगे गए सभी जानकारी को पूर्ण रूप से भरें.
- पांचवा चरण – संबंधित डॉक्यूमेंट को अपलोड करने के बाद सबमिट बटन को दबाएं.
अंतिम तिथि – आवेदन करने की अंतिम तिथि 31.01.2023 तक है।
आपके पास और क्या विकल्प हैं?
अगर आपको मछली पालन लोन नहीं मिल रहा है. या कोई अधिकारी आपसे घूस के रूप में रुपया मांग रहा है. तो इसके लिए आप बिहार के मुख्यमंत्री के जनता दरबार में गुहार लगा सकते हैं.
कृषि एवं पशुपालन से संबंधित अन्य लोन भी है, जिस पर बहुत अधिक सब्सिडी है. आपको निम्नलिखित आर्टिकल को जरूर पढ़ना चाहिए.
- पशुपालन लोन कहां से मिलता है?
- बिहार में पशुपालन लोन
- सूअर पालन लोन
- भैंस पालने के लिए लोन
- पशुपालन लोन की जानकारी
- मुर्गी पालन लोन
- बकरी पालन लोन
- गाय पालन लोन
- पोल्ट्री फार्मिंग लोन
Conclusion Points
अगर आप बिहार में मछली पालन के लिए लोन लेना चाहते हैं तो इसके लिए जो योजना है:
- पेन आधारित मछली पालन योजना
- मुख्यमंत्री मत्स्य विकास परियोजना
आपको बता दें कि अगर आप मछली पालन का शौक रखते हैं तो आप प्रति महीना ₹4500 तक कमा सकते हैं, उसके लिए आपको राहत- सह – बचत योजना आवेदन करना होगा.